🙏 जय वीर कलाजी महिया 🙏 . . वांकानेर परगणामा लूणसर गाम, बहुज जुना समय नु मक्का शाखा महिया दरबारो नु हतु. वांकानेर भाण बापु बाबरीया दरबारे कापडा मा आपता लुणसर उपर वांकानेर ना जाला राज्य नी हकुमत आवी. त्यारे मक्का दरबारो पासे भायु भाग मा मलेला गीरास खाता इटले लुणसर पंथक मा महिया मक्का दरबारो कहेवाता. समयकाळ ना प्रवाह मा प्रजा ना वधाराऐ मोटा गीरासो मा भाइयो ना भाग पडता गीरास नी मोटी जमीनोना टुकडा थई भाग बटाइ मा जता मक्का दरबारोऐ पोतानी गीरास नी जमीनो ने सुधारी जात खेती करता खेडूत बन्या छता राजपूतो ना खमीर खूंप्या न हता. दरबारो ना सीम वगडा मा कोई जाड नु पान्दडु पण तोडी सकता नही. एवी मक्का महिया दरबारो नी हांक हती. लुणसर मा गढेची ( गढवाळी ) माताजी नी बाजु मा जुना समय ना खखडधज दरबार गढ मा मक्का शाखा ना कलाजी महिया दरबार रहे, गीरास नी जमीन नानी छता जाती खेड करी खेडूत बनवा हीणप अनुभवता एटले कोई राज नी नोकरी स्वीकारी महिया राजपूती खमीर जाळवी राखवानी नेममा लुणसर थी निलळया अने फरता फरता गोंडल आवता अंजळ बेठा. ऐ समये एटले इ. स. 1753, वि. स. 1809 मा गोंडल ना ठाकोर हालाजी नु अवसान थता तेना प...